
“नाइंसाफी” से पराजित हुए पत्रकार “अजय”, दफ्तर के चपरासी ने उठाया हाथ, प्रबंधन ने नौकरी से निकाला, किसी ने नहीं सुनी बात
पीलीभीत : पत्रकार दूसरों की खबरें लिखने में माहिर होते हैं।नमक मिर्च और मसाला कैसे कब और कहां लगाना है यह उन्हें खूब पता होता है लेकिन अगर उनके साथ अनाचार होने लगे तो वे अपनी खबर लिखना तो दूर सच्चाई भी नहीं कह पाते। उन्हें डर लगता है कि लोग क्या कहेंगे।
पीलीभीत में ऐसा ही अनाचार पत्रकार अजय गुप्ता के साथ हुआ और अब अखबार से निकाले जाने के बाद वे सड़क पर आ गए हैं। समाचार दर्शन को आपबीती सुनाते हुए पत्रकार श्री गुप्ता ने बताया कि 24 जनवरी को उनके साथ कार्यालय के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने मारपीट की। उनकी नाक में नाजुक जगह पर चोट लगी जिससे काफी खून बहने लगा। दफ्तर के साथी एवं शहर के कुछ पत्रकार उन्हें अस्पताल ले गए और ड्रेसिंग आदि कराकर टीके लगवाए।
रिपोर्ट दर्ज कराने पुलिस में जाने नही दिया गया
गुप्ता जी पुलिस में जाने की बात कहते रहे लेकिन साथियों ने समझा दिया। प्रबंधन ने भी ऐसा ना करने को कहा। थक हारकर स्वास्थ्य लाभ के लिए श्री गुप्ता ने 10 फरवरी तक का अवकाश ले लिया। बकौल अजय गुप्ता चपरासी साहब का मुंहलगा था और खूब सेवा करता था इसलिये चपरासी को बचाकर उनके खिलाफ गलत रिपोर्ट भेज दी गई। जब वे 11 फरवरी को स्वस्थ होने पर दफ्तर पहुंचे तो उन्हें यह कह कर मना कर दिया गया कि उनका यहां काम करना ठीक नहीं है और आप अपने घर का रास्ता देखिए। यानी न्याय का गला घोटते हुए पीड़ित को ही मुलजिम बना दिया गया।
नौकरी छिनने से खड़ा हुआ रोजी रोटी का संकट, जानमाल का खतरा
श्री गुप्ता विशुद्ध पत्रकार हैं और पेपर से जो उन्हें 7 से 8000 मिल जाता था। उससे ही पत्नी बच्चों सहित पूरे परिवार की गुजर-बसर होती थी। और कोई रोजी-रोटी का जरिया नहीं है। नौकरी से निकाले जाने के बाद गुप्ता सड़क पर आ गए हैं। हालांकि उन्होंने प्रबंधन को अपनी बात बताई है लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है। ऐसे में पत्रकार संगठनों से भी मदद मांग रहे हैं और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया में शिकायत करने की बात कह रहे हैं। लेबर कोर्ट जाने का मन भी बना रहे हैं। उन्होंने जान माल का खतरा बताते हुए डीएम एसपी को भी पत्र लिखा है । जिसमें कहा गया है कि उन्हें झूठे केस में भी फसाये सजाने की साजिश रची जा रही है। अब देखना यह है कि दूसरों को न्याय दिलाने के लिए जीवन भर संघर्ष करते रहे इस पत्रकार को न्याय मिल पाता है अथवा यूं ही भटकने को मजबूर होंगे।
अगर आप पत्रकार हैं तो करिए विचार, कहीँ आप भी न हो जाएं शिकार
अगर आप पत्रकार हैं तो आपको एक बार सोचना चाहिए कि कभी ऐसी स्थिति आपके साथ भी आ सकती है। इसलिए पीड़ित पत्रकार अजय गुप्ता की मदद करना आपका फर्ज बनता है। पत्रकार संगठनों को भी ऐसे मौके पर बिना पक्षपात किये आगे आना चाहिए। संगठनों के लिए यह परीक्षा की घड़ी है।
(पीड़ित पत्रकार अजय गुप्ता का मोबाइल नंबर-+917906500251)
दफ्तर के अखाड़ा बनने पर हुआ एक्शन, दोनों कर्मी निकाले गए
यूं तो इस समय प्रयागराज के महाकुंभ में अखाड़े चर्चा में हैं लेकिन 24 जनवरी को दफ्तर करीब आधे घण्टे तक अखाड़ा या यूं कहें कि जंग का मैदान बना रहा। कोई गालियां बक रहा था तो कोई लाठी डंडे खींच रहा था। कुछ कर्मी बचाने में लगे थे तो कुछ प्रबंधन तक बात पहुंचाने को उत्सुक दिखे। चूंकि जंग कार्यालय में हुई थी इसलिए दोनों आरोपी कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने का निर्णय प्रबंधन ने लिया। इस बात की पुष्टि सम्बंधित पत्र के सूत्रों ने की है। यह भी बताया गया कि बाइक की नंबर पट्टी खुलने को लेकर पहले कहासुनी और फिर मारपीट हुई। दफ्तर का अनुशासन तब तार तार हुआ जब जिम्मेदार नहीं थे। पूरे जनपद और बरेली तक यह मामला चर्चा में है। जहां अजय को सहानुभूति व पत्रकारों का समर्थन मिल रहा है वहीं ऑफिस प्रबंधन रूपी अव्यवस्था भी खुलकर सामने आ गई है।