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समस्या बनी पहाड़ : 40-45 किमी दूर जाकर बोर्ड परीक्षा देने को मजबूर होंगी सपहा, जोगराजपुर व गढ़वाखेड़ा स्कूलों की सैकड़ों छात्राएं, रास्ते में सुनाई देगी बाघ की दहाड़

94 गांवो के सभी केंद्र यूपी बोर्ड की प्रस्तावित सूची से गायब, अभिभावकों में भड़का आक्रोश

पूरनपुर। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा वर्ष 2024 की परीक्षाओं के लिए जिले में 10 परीक्षा केंद्र कम कर दिए गए हैं। 94 गांव के सभी तीन विद्यालयों के परीक्षा केंद्र इस बार सेंटर नहीं बन पाएंगे, क्योंकि सभी मानक पूरे होने के बाद इन केंद्रों को प्रस्तावित सूची में शामिल नहीं किया गया है। इसके चलते 94 गांव के दर्जनों गांवों की सैकड़ों छात्राएं 40 से 45 किलोमीटर दूर जाकर परीक्षा देने को विवश होंगी। इसको लेकर अभिभावकों में भारी रोष है और पूरे मामले की शिकायत सांसद वरुण गांधी और विधायक बाबूराम पासवान से की गई है। इसको लेकर अभिभावक एसडीएम से मिलकर समस्या बताएंगे।
गत वर्ष की अपेक्षा इस बार जिले में माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा मनमाने ढंग से 10 परीक्षा केंद्र घटा दिए गए हैं। जहां जरूरत नहीं थी वहां केंद्र बनाए गए जबकि दूरदराज के इलाकों के केंद्र सभी संसाधन पूर्ण होने के बाद गलत तरीके से हटाए गए हैं। इसके चलते अभिभावकों को काफी सुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। 94 गांव के सपहा स्थित पंडित जियालाल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय व जोराजपुर के सेवाराम नत्थू लाल इंटर कॉलेज को पिछले कई वर्षों से परीक्षा केंद्र बनाया जाता रहा था। इसके चलते स्टूडेंट एक दूसरे विद्यालय में जाकर परीक्षा देते थे और सिर्फ 8-10 किलोमीटर के अंतराल में भी आसानी से परीक्षा देते थे परंतु इस बार इन विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को 40 से 45 किलोमीटर दूर जाकर परीक्षा देनी होगी। इसका सबसे बड़ा दुष्प्रभाव छात्राओं पर पड़ेगा। इस इलाके के गांवों की छात्राओं को 40 से 45 किलोमीटर पूरनपुर जाकर पेपर देने में भारी असुविधा होगी। सर्दी के मौसम में यह समस्या और अधिक बढ़ जाती है। इसको लेकर अभिभावकों में आक्रोश है और उन्होंने इस मामले की शिकायत सांसद वरुण गांधी और पूरनपुर के भाजपा विधायक बाबू राम पासवान से करते हुए परीक्षा केंद्र बनवाने की मांग की है। अभिभावको का कहना है कि अगर सपहा के पंडित जियालाल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में परीक्षा केंद्र बनता है तो जोगराजपुर एवं मरकरी कांवेंट स्कूल गढ़वाखेड़ा के साथ छात्राएं भी यहां परीक्षा दे पाएंगे और उन्हें लंबी दूरी नहीं तय करनी पड़ेगी। जोगराजपुर में केंद्र बनने पर सपहा स्कूल के छात्रों को भी दूर नहीं जाना पड़ेगा। सपहा और जोगराजपुर के स्कूलों ने वर्ष 2024 की बोर्ड परीक्षा हेतु केंद्र बनाने पर पुनर्विचार करने हेतु प्रत्यावेदन भेजा है। उधर कढ़ैया कनपरा के ग्राम विकास उच्चतर माध्यमिक विद्यालय और भगवंतापुर के उच्चतर माध्यमिक स्कूल को भी परीक्षा केंद्र बनाने की मांग उठ रही है। इन स्कूलों के केंद्र भी इस बार प्रस्तावित सूची में शामिल नहीं हैं। इसको लेकर अभिभावकों में आक्रोश है। अभिभावक अपनी समस्या को लेकर मंगलवार को पूरनपुर के एसडीएम से मिलेंगे। उधर विभागीय अधिकारियों का कहना है कि ऑनलाइन माध्यम से माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा केंद्र प्रस्तावित किए गए हैं। जहां दिक्कत है वहां के प्रत्यावेदन पर डीएम की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में विचार करके संस्तुति बोर्ड को भेजी जाएगी। दबी जुबान अधिकारी भी मान रहे हैं कि कई जगह गलत आवंटन हुआ है। पुराने केंद्र बिना किसी आपत्ति के समाप्त करने को भी गलत बताया जा रहा है।

कोहरा, कड़ाके की सर्दी और रास्ते में बैठा होगा बाघ

प्रदेश सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, नारी सशक्तिकरण और महिला उत्थान की बात करती है परंतु छात्राओं की परीक्षा केंद्र 40 किमी दूर होने की समस्याओं पर गौर करने के लिए कोई भी तैयार नहीं है और न ही इस पर संज्ञान लिया जा रहा है। सभी जानते हैं कि बोर्ड परीक्षाएं सुबह 7 बजे से शुरू होती हैं। सर्दी के मौसम में कोहरा भी चरम पर होता है। मान लीजिए कोई छात्रा सेहरामऊ के चलतुआ गांव से पूरनपुर परीक्षा देने जाएगी तो यह दूरी 50-60 किमी होने के कारण 2 घंटे यानी 5 बजे घर से निकलना पड़ेगा। साथ में सर्दी व कोहरे के प्रकोप से तो 2-4 होना ही पड़ेगा वही रास्ते में बाघ भी बैठा मिल सकता है। क्योंकि यह जंगल किनारे का इलाका है। जहूरगंज से शेरपुर होकर पूरनपुर जाने में हरीपुर रेंज का जंगल पड़ता है। कुर्रैया तरफ से हाइवे होकर आने पर फत्तेपुर सिंहपुर का जंगल क्रॉस करना पड़ेगा। ऐसे में छात्राओं को भारी असुविधा होगी। अधिकांश अभिभावक ग्रीन हैं और आने जाने का मुख्य साधन साइकिल या मोटे साइकिल ही है। कल्पना करिए कि यह दिक्कतें किसी अफसर या जनप्रतिनिधि की बेटी को होती शायद तभी वे गरीब किसानों व मजदूरों की बेटियों की व्यथा समझ पाते। बोर्ड नियमों के तहत परीक्षा केंद्र 5 से 10 किमी ही दूर हो सकता है।

(प्रतीकात्मक चित्र साभार निर्जेश मिश्र)

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