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रात को दो बजते बजते थम गई घायल बाघ की साँसें, समय से उपचार न मिलने से हुई मौत

घुंघचाई।  बाघ के आतंक का हुआ अंत। रात में करीब 2: 00 बजे हुई  बाघ की मौत। पीएम के लिए विभागीय टीम लेकर रवाना  हुई। बहुत हद तक विभाग ही रहा जिम्मेदार। लेटलतीफी के कारण घायल बाघ को समय रहते नहीं मिल सका उपचार। अगर समय से उपचार मिलता तो बच जातीजान। बुधवार करीब 4 बजे मजदूरों पर हमले के बाद हुआ था मानव वन्य जीव संघर्ष। पौन दर्जन लोगों पर हमला के बाद ग्रामीणों ने बाघ को पीटा था। पीटीआर की टीम ने शाम को बाघ को एक तरफ जाल लगाकर जंगल तरफ खदेड़ने का प्रयास किया गया पर बाघ चल नही पाया। उसे ट्रेंकुलाइज करके उपचार देने की जरूरत थी जो नही दिया जा सका।

 

 

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