गीत : जब घर में घरवाली बोले तब पति का सिंहासन डोले
‘महारानी’
“जब घर में घरवाली बोले।
तब पति का सिंहासन डोले।।
खारिज कर दे वह हर अर्जी।
चलती केवल उसकी मर्जी।
कुछ कह दो उसकी आंखों से।
बहने लगते आंसू फर्जी।
मन उखड़े खिचड़ी खिलवाये।
मन राजी तो पूड़ी छोले ।।
पति जी खाने की वेटिंग में।
लेकिन मैडम जी मीटिंग में।
बस है इतनी सी जिज्ञासा।
कब कौन कहाँ किस सैटिंग में।
बन पत्रकार से भी बढ़कर।
बैठीं सबका चिट्ठा खोले ।।
क्वांरेपन के दिन याद करें।
कैसे खुद को आजाद करें।
धर ले जब रौद्र रूप बीबी।
बस ईश्वर से फरियाद करें।
देखे हैं बड़े बड़े साहब।
घर पर रहते बनकर भोले।।
जब ब घर में घरवाली बोले।
तब पति का सिंहासन डोले ।।”
गीत – संजीव ‘शशि’
पीलीभीत
मो. 08755760194
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