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धर्म कर्म : गुप्त नवरात्र व्रत रखकर करें मां शाकुम्बरी की साधना
गुप्त नवरात्रि करें मां शाकंभरी साधना वर्ष में छह बार पीलीभीत : नवरात्रि का पर्व आता है पौष शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक भगवती मां शाकंभरी अन्नपूर्णा का महा पर्व मनाया जाता है जो भी साधक इस साधना में मां की पूजा अर्चना करते हैं साग फल-फूल गन्ना सोया पालक आलू नींबू इत्यादि चढ़ाकर भगवती को प्रसन्न करते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। कहते हैं दुर्गम नाम के राक्षस ने चारों वेदों को जब चुरा लिया था तब इस पृथ्वी पर अकाल पड़ गया था। उस समय मां पार्वती शाकंभरी के रूप में प्रकट हुई। जिनके असंग नेत्र थे अपनी संतानों को इस प्रकार दुखी देखकर अपने सभी नेत्रों से जलधार गिराई जिससे इस पृथ्वी पर पुनः साग फल फूल सब्जी उत्पन्न हो गई और उससे सभी प्राणी जीवित हो गए। उसके बाद उस राक्षस का भगवती ने संघार किया। दुर्गम राक्षस के संघार करने से भगवती का नाम दुर्गा पड़ा। जो भी साधक मां अन्नपूर्णा शाकंभरी जी की पूजा-अर्चना करता है उसके यहां धन धान्यआदि की वृद्धि होती है।। इस नवरात्रि में आप करें इस मंत्र का जाप।
ॐ सर्वाबाधा-विनिर्मुक्तो, धनधान्यसुतान्वितः। मनुष्यो मत्प्रसादेन् भविष्यति न संशयः।।’ अथवा
अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकर प्राण वल्लभे।
ज्ञान वैराग्य सिद्धयर्थ भिक्षां देहि च पार्वति।।
पंडित अनिल शास्त्री, पुजारी शिव शक्तिधाम पूरनपुर
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