♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

सम्पादकीय : पीलीभीत में खुला पर्यटन नीति का पिटारा

सम्पादकीय : सतीश मिश्र ‘अचूक’

पीलीभीत में खुला पर्यटन नीति का पिटारा

-होटल, रेस्टोरेंट, ढावा, रिजॉर्ट आदि खोलने के लिए ऋण और करोड़ों की सब्सिडी, साथ में मुफ्त जमीन व कई अन्य सहूलियतें भी हैं प्रस्तावित

 

लोगों को अक्सर यह कहते सुना होगा कि तराई के पीलीभीत जनपद में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। यहां के प्राचीन पौराणिक व ऐतिहासिक स्थल तो हैं ही जिले के जंगलों को टाइगर रिजर्व और अब हाथी रिजर्व घोषित किए जाने के बाद पर्यटकों की आवक काफी अधिक बढ़ गई है। ऐसे में पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। यह बात बिल्कुल सच है कि जिम कार्बेट पार्क और दुधवा नेशनल पार्क के मुकाबले पीलीभीत टाइगर रिजर्व में पर्यटकों को दी जाने वाली सुविधाएं काफी कम हैं। यहां होटल, रिसोर्ट आदि भी इन पुराने टाइगर रिजर्व की अपेक्षा काफी कम हैं। पीलीभीत आने वाले पर्यटक रहने व खाने पीने के लिए परेशान होते हैं। हालांकि टाइगर रिजर्व द्वारा जंगल के गेस्ट हाउस, चूका पिकनिक स्पॉट, होमस्टे में पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था की जा रही है। परन्तु यह संसाधन फिलहाल कम पड़ रहे हैं। ऐसे में नए होटल व रिसोर्ट आदि की आवश्यकता महसूस की जा रही है। सरकार की नई पर्यटन नीति पीलीभीत के विकास में काफी अधिक सहायक होगी। सरकार द्वारा इको पर्यटन सर्किट घोषित किए जाने के बाद पीलीभीत व दुधवा को लिंक किए जाने से जनपद में विकास तेज गति से होने की संभावना बन गई है। सरकार द्वारा पर्यटन नीति के तहत होटल आदि स्थापित करने वालों को करोड़ों रुपए का ऋण एवं 25 फीसदी तक सब्सिडी देने की घोषणा की गई है। मुफ्त जमीन उपलब्ध कराने के साथ ही निबंधन शुल्क व स्टांप शुल्क की शत प्रतिशत पूर्ति सरकार द्वारा करना भी योजना में शामिल किया गया है। सबसे अच्छी बात यह है कि पूरा पीलीभीत जिला पर्यटन नीति 2022 से आच्छादित है और यहां बड़ी संख्या में निवेशक पर्यटकों के लिए सुविधाएं विकसित करने हेतु आएंगे, ऐसी संभावनाओं के चलते जिला प्रशासन द्वारा पर्यटन नीति पर निवेशकों के साथ बैठक भी की जा चुकी है। अगर जिला प्रशासन इस मामले में तेजी दिखाता है तो पीलीभीत के विकास में नई पर्यटन नीति मील का पत्थर साबित होगी लेकिन इसके लिए अधिकारियों को सभी जरूरी प्रयास करने होंगे। रेल यातायात शुरू करने के साथ प्रचार प्रसार पर भी जुटना होगा। पर्यटन के प्रचार प्रसार हेतु जिले में ब्रांड एम्बेसडर की नियुक्ति भी की जानी चाहिए।
——
इतना सब शामिल है यूपी की नई पर्यटन नीति में

राज्यपाल आनंदीवेन पटेल के जनपद भ्रमण के बाद बरेली की मंडलायुक्त संयुक्ता समद्दार की पहल पर पर्यटन विभाग जिले में पर्यटन नीति का पिटारा लेकर आया है। कमिश्नर के निर्देश पर बरेली के पर्यटन अधिकारी ने उद्योग विभाग, निवेशकों व जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ जिले का भ्रमण कर यहां पर्यटन की संभावनाएं तलाशीं। जिला मुख्यालय पर पर्यटन विकास हेतु ज़िलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार की अध्यक्षता में गत दिनों बैठक भी हुई जिसमें पर्यटन अधिकारी द्वारा जनपद में टूरिज्म हब स्थापित करने हेतु जनपद की विरासत, कला और संस्कृति पर्यटन, जल आधारित गतिविधियॉ, युवा पर्यटन, आध्यात्मिक और धार्मिक पर्यटन, स्वास्थ्य और चिकित्सा पर्यटन, व्यंजन पर्यटन, प्रकृति और वन्यजीव पर्यटन, साहसिक पर्यटन, वैवाहिक पर्यटन आदि पर विचार विमर्श किया गया। बैठक में उपायुक्त उद्योग आत्मदेव शर्मा एवं पर्यटन अधिकारी द्वारा समस्त निवेशकों को बताया कि जनपद में टूरिज्म हब हेतु होटल्स, इको टूरिज्म स्टे, रिसोर्ट, कारवा पार्क, थीम पार्क, मेगा प्रोजेक्ट, बजट होटल्स, रिवर क्रुज, वेलनेस सेंटर, ढ़ाबा, ग्रामीण होम स्टे, कन्वेशन सेंटर, योगा सेन्टर, पाब्लिक म्यूजियम एवं गैलरी, हेरिटेज होटल, हेरिटेज होम स्टे, धर्मशाला, ग्रामीण, सांस्कृतिक पर्यटक ग्राम आदि विकसित किये जा सकेंगे।
—–
निवेशकों को मिलेगी करोड़ों की सब्सिडी

जिला मुख्यालय पर हुई बैठक में पर्यटन अधिकारी द्वारा अवगत कराया गया कि पर्यटन विभाग द्वारा सरकार की पर्यटन नीति 2022 के तहत विभिन्न प्रकार की योजनाऐं संचालित हैं। जिसमें पूंजी निवेशकों को सब्सिडी प्रदान की जाएगी। 10 लाख से 10 करोड तक का निवेश करने पर 25 प्रतिशत सब्सिडी व इससे अधिक धनराशि निवेश करने पर 20 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान की जायेगी। इसके साथ ही साथ होटल तथा रिसॉर्ट्स के लिए उद्योग की स्थिति दर्जा, स्टाम्प ड्यूटी, भूमि रूपांतरण तथा विकास शुल्क पर छूट दी जायेगी। दिव्यांग अनुकूल इकाईयॉ प्रति श्रमिक प्रति माह रुपया 1500 की पेरोल सहायता, दुर्लभ कला तथा संस्कृति का पुनरुद्वार पर रुपये 5 लाख की दर से इसमें सम्मिलित व्यक्ति या समूह को अनुदान प्रदान किया जायेगा। हेरिटेज होटलों के लिए विशेष प्रोत्साहन संरचना को प्रभावित किए बिना पूंजीगत लागत पर 25 प्रतिशत सब्सिडी, रुपया 5 करोड तक के बैंक ऋण पर 5 वर्ष की अवधि के लिए 5 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी, स्टाम्प ड्यूटी तथा भूमि उपयोग परिवर्तन पर 100 प्रतिशत छूट, पहले वर्ष के उत्पाद शुल्क पर 50 प्रतिशत पूर्तिपूर्ति व पूंजीगत सब्सिडी तथा ब्याज सब्सिडी दोनों का लाभ प्रदान किया जायेगा।
——–
इको टूरिज्म के साथ तीर्थाटन के भी अवसर

पीलीभीत में टाइगर रिजर्व व इको टूरिज्म के अलावा धार्मिक पर्यटन यानी तीर्थाटन के द्वार भी खुले हुए हैं। माधोटांडा स्थित गोमती उदगम तीर्थ काफी अच्छा स्थल है। गोमती के 16 घाट जिनमें त्रिवेणी घाट व इकोत्तरनाथ शिव मंदिर पर काफी पर्यटक आते हैं। सुप्रसिद्ध गौरी शंकर मंदिर, माता यशवन्तरि देवी मंदिर, शाही जामा मस्जिद, सिद्ध बाबा मंदिर, सेल्हा बाबा की मजार, इलाबांस मंदिर, मनकामेश्वर मंदिर, चक्र तीर्थ, गुरु झिलमिला की कुटिया, राजा मोरजध्वज का प्राचीन किला, रानी मैनहरा का किला, मतेश्वरी गूँगा देवी मंदिर, राजा वेणु का किला, शाही सरोवर भुगनइ ताल, शिव सरोवर लिलहर, मठा ताल आदि पर्यटकों के तीर्थाटन के लिए खास स्थल हो सकते हैं। कई सरोवरो में विदेशी मेहमान पक्षी सर्दी के मौसम में आकर शोभा बढ़ाते हैं। पीलीभीत उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध माता पूर्णागिरि देवी मंदिर एवं नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा का प्रवेश द्वार भी है। जिले में काफी अच्छे गुरुद्वारा भी हैं। छेवी पातशाही गुरुद्वारा काफी प्राचीन है। जिला मुख्यालय पर नेहरू ऊर्जा उद्यान, एकता सरोवर, खकरा रिवरफ्रंट, ब्रह्मचारी घाट के अलावा सुंदर चौराहे व तिराहे भी हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करने में मददगार साबित हो रहे हैं।
ईको पर्यटन की बात करें तो पीलीभीत टाइगर रिजर्व के वन्यजीव, वाटर बॉडी, चूका पिकनिक स्पॉट का दुनिया भर में नाम है। जंगल के बीच स्थित नहरों के जक्शन बाइफरकेशन, सप्त सरोवर, शारदा सागर जलाशय, साइफन आदि भी खूबसूरत स्थल हैं।
——–
पर्यटन विकास हेतु यह करने होंगे प्रयास

कुछ नए प्रयासों से भी जिले की खूबसूरती बढाई जा सकती है।
शारदा सागर जलाशय व नहरों के किनारों पर फूल पौधे व सोलर लाइटें लगाकर इन्हें आकर्षक बनाकर पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है। जिले के सभी स्थलों के सुंदर चित्र जिले की वेबसाइट पर डाले जाने की जरूरत है। हालांकि अब इस दिशा में अधिकारी सचेत हैं और
जिलाधिकारी ने उपायुक्त उद्योग एवं पर्यटन अधिकारी को निर्देश दिये हैं कि जनपद की वेवसाइट पर जिले के प्रमुख स्थलों के नाम व फोटोग्राफ्स अपलोड किये जायें, जिससे कि पर्यटक वेवसाइट पर प्रमुख स्थलों को देख सके, जिससे जनपद में दूर दराज क्षेत्रों के पर्यटकों की संख्या में बढोत्तरी हो सके, इसके साथ ही साथ व्यापक प्रचार प्रसार कराया जाना चाहिए। हवाई, रेल व बस की सुविधा भी पर्यटकों को दी जानी चाहिए। जनपद की रेल सेवा लखनऊ तरफ से चार वर्षों से ठप पड़ी है। रोड व सरकारी बसों की स्थिति भी ज्यादा अच्छी नहीं है। नेशनल हाईवे के दिशा व दूरी सूचक बोर्डों पर जनपद के प्रमुख पर्यटन स्थलों की दूरी लिखी जानी चाहिए परंतु अधिकांश बोर्ड सूने नजर आते हैं। लखनऊ तरफ से आने पर दुधवा नेशनल पार्क का नाम तो नेशनल हाइवे के बोर्डो पर दिखता है लेकिन पीलीभीत टाइगर रिजर्व, चूका पिकनिक स्पॉट या गोमती उदगम स्थल का नाम नहीं लिखा गया है। इस ओर भी अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को ध्यान देना चाहिए। बाइफरकेशन से शाहजहांपुर तक जाने वाली हरदोई ब्रांच नहर की पटरी पर पक्का रोड बनाकर पर्यटकों की आवक सुगम की जा सकती है। हालांकि कुछ काम शुरू भी हुआ है।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें




स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे


जवाब जरूर दे 

क्या भविष्य में ऑनलाइन वोटिंग बेहतर विकल्प हो?

View Results

Loading ... Loading ...

Related Articles

Close
Close
Website Design By Mytesta.com +91 8809666000