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आईना : गरीबों के देश में आयकर सीमा नहीं “आमदनी” बढ़ाने की जरूरत है “साहब”

संपादकीय

सरकार ने अंतरिम बजट में इनकम टैक्स देने की सीमा ढाई लाख से बढ़ाकर 500000 कर दी है। कहा जा रहा है कि साढे छह लाख तक की आमदनी पर कोई कर नहीं देना पड़ेगा हालांकि इसके लिए निवेश आदि के रास्ते भी सुझाए गए हैं स्कोर वाजपेई व अन्य सरकार की बहुत बड़ी उपलब्धि बताने में जुटे हुए हैं लेकिन इसका एक दूसरा पहलू यह है की 5 लाख तक की आमदनी अभी तक देश में सिर्फ 10 से 15 फ़ीसदी लोगों की ही है। शेष 80 से 85 फ़ीसदी लोगों की इनकम बहुत कम है ।

देश में 50 फ़ीसदी लोग तो ऐसे हैं जो साल में ₹50000 भी नहीं कमा पाते। ऐसे लोगों को ही गरीब माना जाता है और पेंशन आदि विभिन्न सुविधाएं दी जा रही हैं। वर्तमान समय में आवश्यकता इस बात की थी कि सरकार आमदनी बढ़ाने पर जोर देती। जिन किसानों की आमदनी 50000 से ₹100000 प्रति वर्ष है उनकी आय दोगुनी करने का दावा भी सरकार कर रही है तो उनकी आमदनी बढ़ेगी कैसे यह रास्ता नहीं बताया जा रहा है न ही बजट में कोई प्रावधान ही किया गया है।

लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने की बात कही जा रही है वह भी सिर्फ हवा हवाई है। हकीकत यही है कि अभी तक सिर्फ दो चार फीसदी किसानों को ही समर्थन मूल्य मिल रहा है। बाकी को अपनी फसल ओने पौने दामों में दलालों को बेचनी पड़ रही है। गरीबी का आलम यह है कि अभी कंबल बांटने की घोषणा कर दीजिए फिर देखिए कि कितनी भीड़ जमा होती है। तहसील में बनने वाले आय प्रमाण पत्रों को ही देख लीजिए। आज भी लोग अपनी आमदनी दो से ₹3000 प्रतिमाह बताकर 36000 वार्षिक आय का प्रमाण पत्र ही बनवाते हैं। ऐसा नहीं है कि उनकी आमदनी बहुत ज्यादा हो। गांव के लोग ऐसे भी हैं जो हजार रुपया महीना भी नहीं कमा

पाते। मजदूर बाहर जाकर दो पैसे का बंदोबस्त करना चाहता है। अगर उन्हें महीने में सात ₹8000 मिल भी गया तब भी उनकी आय एक लाख का आंकड़ा नहीं छू पाती। आधा पैसा तो बाहर रहकर खाने-पीने में ही खर्च हो जाता है। सरकार को अपनी पीठ थपथपा ने की बजाय किसानों, गरीबों, मजदूरों की आमदनी में इजाफा करने के तरीके ईजाद करने चाहिए ताकि आयकर सीमा बढ़ाने की ज़रूरत ही ना पड़े। जाहिर सी बात है कि जब आमदनी बढ़ेगी तो लोग खुद व खुद कर देने लगेंगे। जब पास में धेला ही नही होगा तो गरीब भला करेगा क्या? पहले उसको आमदनी का जरिया दो गोयल साहब और मोदी जी, हो सकता है एक दो और झूठ उछाल कर आप दुबारा सत्ता पा जाएं पर जनाब लफ्फाजियों से देश का भला कदापि नही होगा। इसपर मंथन करने की जरूत है।

सतीश मिश्र “अचूक”

संपादक, समाचार दर्शन 24

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