गोमती तट की 16 ग्राम पंचायतों में अब होगी प्राकृतिक खेती, लिंक पर क्लिक कर सुनिये कार्यशाला में क्या बोले डीएम पुलकित खरे
गोमती के किनारे अब होगी प्राकृतिक खेती। जिलाधिकारी पुलकित खरे ने आज पूरनपुर तहसील के अंबेडकर सभागार में गोमती तट की 16 ग्राम पंचायतों के किसानों की कार्यशाला में प्राकृतिक खेती करने की अपील की। कृषि वैज्ञानिकों ने इसके फायदे बताए। डीएम बोले दूसरे जिलों में ले जाकर प्रशिक्षण दिलवायाएंगे। भेजने व रुकने की व्यवस्था भी कराई जाएगी। लिंक पर क्लिक करके सुनिये क्या बोले डीएम पुलकित खरे-
इस प्रशिक्षण में रहना हुआ। जिलाधिकारी को अपनी नई पुस्तक #अचूककुण्डलियाँ भी भेट की।।
किसानों से पूछताछ में खुली कृषि विभाग के झूठे दावों की पोल, डीएम ने किसानों का सम्मान रोका
कृषि विभाग के अधिकारियों ने दावा किया कि जनपद में काफी अधिक किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। ऐसे किसानों को जिलाधिकारी के हाथों सम्मानित कराने का क्रम भी शुरू करा दिया। कृषि विभाग के उपनिदेशक नाम लेकर किसानों को बुला रहे थे और जिलाधिकारी उन्हें शाल ओढ़ाकर सम्मानित कर रहे थे। फोटो भी लिए जा रहे थे। इसी बीच जिलाधिकारी ने किसानों से पूछताछ शुरू कर दी। किसानों से पूछा कि अपने खेत में कौन सी खाद व कीटनाशक लगाते हैं। सम्मानित हो रहे किसानों ने रासायनिक खाद व कीटनाशकों का नाम लिया तो जिलाधिकारी का पारा चढ़ गया और उन्होंने तुरंत ही सम्मान रोक दिया। यह बात उन्होंने अपने भाषण में भी कही।
किसानों के गले से नीचे नहीं उतरे झूठे दावे
प्राकृतिक खेती की कार्यशाला में कई किसान भी बोलने पहुंचे और ऐसे ऐसे दावे करने लगे जिन्हें सुनकर मौजूद किसान परेशान हो गए हो। झूठे दावों की अंत तक चर्चा होती रही। कोई एक गाय के 1 दिन के गोबर से 12 एकड़ खेती करने की बात कर रहा था तो कोई फल सब्जी के ऐसे उत्पादन की बात कर रहा था जो संभव ही नहीं है। प्राकृतिक खेती के अगुआकार बनकर आये एक सज्जन तो ₹5000 किलो गाय का देसी घी बेचने लगे। यह सब बातें किसानों के गले नहीं उतरीं।
और छोटा पड़ गया अंबेडकर सभागार
प्राकृतिक खेती की कार्यशाला में अधिक लोगों को बुलाया गया था परंतु तहसील का अंबेडकर सभागार छोटा पड़ गया। इस कारण आधे लोग बाहर बैठे रहे। भोजन पानी की छीना झपटी भी देखी गई। हाल के पंखे भी खराब थे। इसके कारण गर्मी से किसान परेशान रहे। प्राकृतिक खेती के लिए कीटनाशक आदि बताया गया परंतु यह नहीं बताया गया कि यह कहां मिलेंगे। वन वे बातचीत हुई किसानों को तमाम चीजें बताई गई लेकिन किसानों की नहीं सुनी गई।
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