
अचूकवाणी : अमृत सरोवरों में भ्रष्टाचार का विष
-सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नहीं चढ़ सकी परवान, अफसर बने अनजान
-कहीं पूर्व में निर्मित जलाशयों का चयन करके निकाल लिया रुपया तो कहीं यूँ ही खानापूरी करके हड़पा बजट
सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना आई जिसे अमृत सरोवर नाम दिया गया। जिस तेजी से इस योजना पर काम शुरू हुआ और सरोवरों का चयन किया गया उसे देखकर लगता था कि हकीकत में सरोवरों का उद्धार हो जाएगा परंतु दूसरी योजनाओं की भांति इस योजना में भी भ्रष्टाचार का घुन इस तरह से घुसा कि यह योजना अपने उद्देश्य से भटक गई। सरकार की मंशा थी कि अमृत सरोवरों के निर्माण से जल संचय होगा परंतु अधिकांश सरोवर सूखे पड़े हैं जिससे इस योजना का पहला मुख्य कार्य ही विफल हो गया। उधर सरोवरों को सुंदर बनाने के लिए पक्की सीढ़ियां, पथवे व बेंच और लाइट लगाने का काम भी प्रस्तावित था परंतु हर जगह यह सब काम भी हवा-हवाई हुआ। कुछ अमृत सरोवरों पर खुदाई होकर सीढियां बनाई गईं तो बेंच नहीं लगीं। कहीं बेंच लग गईं तो लाइट नहीं लग पाई। अधिकांश सरोवर आधे अधूरे देखे जा रहे हैं। इसके चलते यह योजना फलीभूत नहीं हो पाई। अमृत सरोवरों के बारे में जब मुख्य विकास अधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह से बात की गई तो उन्होंने इसकी पूरी जानकारी ना होना बताया। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि जब विकास विभाग के मुखिया को ही जानकारी नहीं है तो भला इस महत्वकांक्षी योजना का हश्र क्या होगा।
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घुँघचाई में पुरानी ईंटें लगाने पर हुआ प्रदर्शन
घुँघचाई गांव में धार्मिक मान्यता के दुग्धाधारी सरोवर के निर्माण में पुरानी ईंट लगाकर ही सीढियां बनाई जा रही हैं। इस बात की जानकारी लगने पर लोगों ने मौके पर पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया। इस मामले की शिकायत जिला पंचायत अध्यक्ष से की गई है। यह सरोवर पहले से ही पक्का बना हुआ है और इसे बेहतर ढंग से सजाने की जरूरत है। कुछ अन्य सरोवरों पर भी घटिया निर्माण कराए जाने की बात कही जा रही है। सोंधा ग्राम पंचायत में सिद्ध बाबा के सामने पहले से ही सुंदर तालाब बना था जिसके नाम से यूं ही बजट हड़प लिया गया। बेंच व लाइट लगाने का काम अभी तक अधूरा पड़ा है। यही हाल अन्य सरोवरों का भी है।
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गोमती उद्गम स्थल पर भी निर्माण अधूरा
माधोटांडा स्थिति गोमती उद्गम स्थल पर उत्तर तरफ के पहले सरोवर को अमृत सरोवर में चयनित करा कर लाखों रुपए से विकास कार्य कराया जाना प्रस्तावित था। इस सरोवर पर पहले ही काफी हिस्से में खुदाई व पथ वे का काम सपा सरकार में आवंटित 50 लाख के बजट व ग्राम पंचायत द्वारा कराया जा चुका था। उसी कार्य को कराया जाना दिखाकर व घटिया निर्माण कराकर सरकारी धन ठिकाने लगा दिया गया। बेंच व लाइट लगाने का काम भी नहीं किया गया। पुलिया भी सही ढंग से नहीं बनाई गई। न ही चारों तरफ से पथ वे ही कंप्लीट हो पाया है। जिसके चलते श्रद्धालुओं को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने आवंटित पूरा बजट खर्च करके सरोवर का काम पूरा कराने की मांग की है। आप समझ सकते हैं जब गोमती उद्गम स्थल जहां अक्सर बड़े अधिकारी भी आते रहते हैं वहां इस तरह से आधा अधूरा व घटिया निर्माण कराया गया तो अन्य सरोवरों का हाल क्या होगा।
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भुगनई ताल पर काम जारी, बनेंगे 5 पक्के घाट
ऐसा नहीं है कि सभी जगह खाना पूरी ही की गई हो, बढ़िया काम भी हो रहे हैं। माती माफी देवी मंदिर से जुड़े शाही सरोवर भुगनई ताल को अमृत सरोवर के रूप में विकसित करने के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ दलजीत कौर ने गोद लिया है। इसके लिए करीब 19 करोड़ रुपया स्वीकृत हुआ और 7 करोड़ रिलीज भी हो गया है। जिससे काम कराया जा रहा है। सौ एकड़ से अधिक रकवे में फैले सरोवर का पथवे बनाने के अलावा पांच पक्के घाट भी बनाए जाएंगे। जिला पंचायत अध्यक्ष के गुरभाग सिंह ने बताया कि सरोवर को बेहतर ढंग से विकसित किया जाएगा और यहां आने के लिए प्रधानमंत्री सड़क योजना से पक्की सड़क भी बनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि यह उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा सरोवर है और उन्होंने इसे गोद लेकर बेहतर ढंग से सजाने का वीणा उठाया है। जिसे हर हाल में पूरा करेंगे।