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डीएम साहब “जुगाड़” के हेलमेट से पेट्रोल खरीदने का तो हो रहा “इंतजाम” लेकिन बड़ी चुनौती बाइकर्स को सड़क पर हेलमेट लगवाने की, अमल में लाने होंगे कुछ और भी उपाय

 

पीलीभीत: जिलाधिकारी ने 17 जून से बाइक में पेट्रोल भरवाने के लिए हेलमेट अनिवार्य कर दिया है लेकिन सड़कों पर फर्राटा भर रहे बाइक सवारों के पास हेलमेट देखना ईद का चांद देखने के बराबर लग रहा है। हो भी क्यों ना जब पेट्रोल भरवाने के दौरान पंप के आसपास ही किराए पर हेलमेट मिल रहे हैं। तब व्यक्ति हेलमेट साथ लेकर क्यों चले। जानकारों का मानना है की जब तक खाकी वर्दी का रौब नहीं दिखेगा तब तक जिले भर में हेलमेट योजना लागू होना दूर की कौड़ी साबित होगा।

पेट्रोल पम्पो पर लगाई गई फ्लेक्स

पीलीभीत में जिला अधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने 17 जून से पेट्रोल पंपों पर बाइक में पेट्रोल भरवाने के दौरान हेलमेट अनिवार्य कर दिया है। पीलीभीत में योजना का शुभारंभ बेहतरीन तरीके से किया गया लेकिन योजना धरातल पर लागू होती नहीं दिख रही है। पेट्रोल पंपों पर बिना हेलमेट के तेल धड़ल्ले से डाला जा रहा है। जिले भर में कई ऐसे पेट्रोल पंप हैं जहां पर हेलमेट मौजूद है। अगर आपको अपनी बाइक में तेल डलवाना है तो हेलमेट का किराया दीजिए और हेलमेट पहनकर बाइक में तेल डलवा लीजिए। पूरनपुर व कलीनगर तहसील क्षेत्र में कई पेट्रोल पंप पर हेलमेट का किराया 10 तक वसूला जा रहा है। देखिये वीडिओ-

बिना हेलमेट के पेट्रोल पंप पर पेट्रोल मिलने से जिलाधिकारी का आदेश बेअसर होता दिखाई दे रहा है। जानकारों की मानें तो पुलिस प्रशासन को छापेमारी अभियान चलाना होगा। इसके अलावा प्रत्येक पेट्रोल पंप पर खाकी वर्दीधारी की तैनाती होना बहुत जरूरी है। सड़कों पर बिना हेलमेट के ही बाइक पर लोग फर्राटा भरते नजर आ रहे हैं। पीलीभीत जिला अधिकारी को अपने अभियान को कड़ाई से पालन करने के लिए मजबूती से उतरना होगा। तभी उनका जिले भर में हेलमेट अनिवार्य करने का आभियान सफल हो पाएगा।

जानिए क्या है हेलमेट बिना पेट्रोल न देने के पीछे मंशा??

जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव  ने सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिए सड़क सुरक्षा सप्ताह के तहत यह योजना बनाई थी कि अगर बाइक सवारों को बिना हेलमेट पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल नहीं मिलेगा तो वे हेलमेट लेकर चलने की आदत डालेंगे परंतु ऐसा नहीं हो पा रहा है। पेट्रोल पंप पर जुगाड़ करके एक दूसरे का मांग कर या किराए पर लेकर बाइक सवार हेलमेट लेते हैं और तेल डलवा लेते हैं। इसके बाद सड़क पर कोई भी हेलमेट लगाकर नहीं चलता। इससे जिलाधिकारी की मंशा विफल हो रही है।

डीएम साहब इन सुझावों पर भी अमल करने की है जरूरत

आवश्यकता इस बात की है कि सड़कों पर चेकप्वाइंट बनाकर वहां नियमित चेकिंग करवाई जाए और जो हेलमेट नहीं लगाते उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। जिले में कही भी पुलिस सड़क पर नजर नही आती। जनता को इस मामले में और अधिक जागरूक करने की भी जरूरत है।

समजसेवी संदीप खंडेलवाल द्वारा लगाए गई फ्लेक्स

इसमे स्वयंसेवी संगठनो, जनप्रतिनिधियों की मदद ली जा सकती है। गरीबो के लिए कुछ हैलमेट व्यापारियों से दान कराए जा सकते हैं। लखनऊ की भांति कुछ प्रमुख मार्गों,  वेंकट हालों, स्कूल कॉलेजों और माल आदि में बिना हेलमेट प्रवेश प्रतिबंधित किया जा सकता है। सरकारी दफ्तरों, थाना, तहसील दिवस में आने वाले फरियादियों की शिकायत तभी सुनी जाय जब यह सुनिश्चित हो जाये कि फरियादी बाइक से आया है तो उसके पास हेलमेट है। अदलाबदली रोकने के लिए हेलमेट पर बाइक का नंबर डालने की अनिवार्यता भी लागू की जा सकती है। हेलमेट को लेकर सरकारी सेवको, पुलिस, प्रशासन के लोगो पर खास सख्ती हो। सिर्फ पेट्रोल पंपों के सहारे अभियान फिलहाल सफल होता नजर नही आ रहा है। 

डीएम एसपी के छापे से सहमे पेट्रोलपंप संचालक, दोपहर बाद नजर आई सख्ती 

आज पीलीभीत शहर में एक पेट्रोल पंप पर डीएम और एसपी ने खुद छापा मारा। बिना हेलमेट पेट्रोल देने पर पम्प सीज करने की चेतावनी दी। प्रतिवाद करने पर 2 सेलमेन को गाड़ी में बैठा लिया। कुछ देर में ही यह सूचना जिले भर में तेजी से प्रसारित हुई और बिना हेलमेट पेट्रोल की बिक्री बंद हो गई। हालांकि हेलमेट मांगने, किराए पर लेने का जुगाड़ चलता रहा।गाँव देहात के पम्पों पर कुछ ढील रही पर शहर और हाइवे पर पूर्ण प्रतिबंध दोपहर बाद लागू हो गया।  

पेट्रोल पंप मालिकों की भी हैं कई समस्याएं, सुनने को कोई तैयार नहीं

पुलिस प्रशासन और परिवहन विभाग ने हेलमेट लगवाने की जिम्मेदारी पेट्रोल पंप संचालकों पर डालकर उन्हें धर्म संकट में डाल दिया है। हर व्यापारी अपने ग्राहक को देवता मानता है और देवता के आगमन पर स्वागत भी करता है पर वक्त का तकाजा देखिये की आज हेलमेट के चक्कर मे उस ग्राहक रूपी देवता को ही वापस करना पड़ता है। कोई मजबूरी समझ जाता है तो कोई गालियों की बौछार करता जाता है। गाली गलौज और लड़ाई झगड़े की भी नौबत आ रही है। कुछ डीएम का लिखित आदेश दिखाने को कहते हैं पर यह आदेश अभी जारी ही नही हुआ है। सिर्फ जुबानी जमा खर्च ही किया जा रहा है। एमवी डाक्ट में रोकने टोकने और कार्रवाई करने का हक सिर्फ पुलिस और परिवहन विभाग को है। बिना राज्य सरकार के नोफिकेशन इसमे परिवर्तन संभव नहीं। पर कोई सुनने को तैयार नहीं। पम्प कर्मियों को ही हेलमेट की जांच में लगा दिया, कार्रवाई यह कि पेट्रोल मत दो। पम्प पर पुलिस तैनाती की मांग भी नही सुनी गई। अफसर समझते हैं कि पेट्रोल न मिला तो हेलमेट लोग लगाएंगे पर ऐसा है नहीं। प्रशासन की सुनकर पेट्रोल न दें तो ग्राहक नाराज, दे दें तो साहब नाराज। ग्राहकों की गालियां मुफ्त में खा रहे हैं बेचारे। 

 नुकसान में भी कुछ फायदे तलाशने की जुगत में पम्प वाले, पम्पो पर बेंचेंगे हेलमेट

बाइक के लिए कुछ लोग केन में भरवा कर पेट्रोल ले जा रहे हैं तो कई लोग टंकियां फुल करवा रहे हैं। पेट्रोल की बिक्री भी बढ़ी है। 20, 30 और 50 का पेट्रोल लेने वाले गायब से हो गए।पेट्रोल पंप वाले ठहरे व्यवसाई वे इसमे भी मुनाफा खोज चुके हैं। पम्प संचालक अब डीजल पेट्रोल और मोबिल ऑयल के साथ हेलमेट बेंचते नजर आएंगे। ग्राहक पेट्रोल पंप से हेलमेट खरीद सकेंगे।

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