पहले गोमती व पर्यटन और अब कोविड संक्रमितों की मददगार बनीं “दीपिका”
लखनऊ। दीपिका चतुर्वेदी एक ऐसा नाम है जो लोगों की हर समय मदद करने के लिए तैयार रहती है। कोविड संक्रमण में गत वर्ष उन्होंने लोगों की भरपूर मदद की। इस वर्ष दूसरा दौर शुरू हुआ तो बेड, ऑक्सीजन और दवाइयों की कमी से जनता त्राहिमाम करने लगी। ऐसे में खुद का स्वास्थ्य ठीक ना रहने के बावजूद ड्रीम मेंगोज की चेयरमैन दीपिका चतुर्वेदी ने लोगों के लिए बेड, ऑक्सीजन व दवाइयों की व्यवस्था कराई। अपने शहर लखनऊ ही नहीं पीलीभीत, नोएडा, दिल्ली, कानपुर, मेरठ, बरेली, गुरुग्राम, इलाहाबाद, मुंबई या अन्य कोई शहर। हर तरफ दीपिका चतुर्वेदी को जानने वाले इष्ट मित्र सक्रिय थे। जिन्होंने जैसे ही उनकी अपील सुनी तुरंत ही व्यवस्थाएं करा दी। इससे कई जाने बचाने में भी वे कामयाब रहीं।
इससे पहले दीपका चतुर्वेदी ने आदि गंगा गोमती के लिए pilibhit जहां गोमती मैया का उद्गम है वहां के गोमती भक्तों के साथ मिलकर मुहिम चलाई। गोमती पर एक लघु फिल्म भी बनाई जिसका लिंक नीचे दिया जा रहा है। आप इस लिंक पर क्लिक करके यह फिल्म देख सकते हैं-
pilibhit के जंगल जब टाइगर रिजर्व घोषित हुए यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं देखने को मिली। deepika जी यहां के दर्शनीय स्थलों को भी बढ़ावा दिया। उन्होंने pilibhit केे वनों व वन्य जीवो पर भी एक लघु फिल्म बनाई की जो काफी चर्चित रही।
pilibhit के कवि व पत्रकार satish mishra Achook द्वारा पुस्तक लॉकडाउन के शॉक लिखी गई तो उसमें मजदूरों का गीत सन्नाटा deepika जी द्धारा फ़िल्मांकित करा कर नए रूप में पेश किया गया। लिंक पर क्लिक कर सुनें गीत-
उनके द्वारा फिल्मांकित कोरोना काल की शादी के सात वचन भी काफी अधिक प्रचलित हो रहे हैं। लिंक पर क्लिक करके सुने-
इसके अलावा भी अक्सर लोगों की मदद के लिए वे आगे रहती है। चाहे पर्यटन का क्षेत्र हो या नदियों के विकास की बात, अथवा गांव या शहरों के उत्थान की बात, हर जगह दीपका चतुर्वेदी सबसे आगे खड़े रहने की होड़ में रहती हैं।
फिल्म जगत के लोग हो या प्रशासनिक सेवा से जुड़े अधिकारी अथवा पत्रकार हर किसी की टीम में deepika chaturvedi शामिल हो ही जाती हैं। उनका यह गुण उन्हे विशिष्ट बनाता है। एक बाल कवि ने deepika chaturvedi पर एक किताब भी लिख दी है जो काफी चर्चित रही।
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