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सर्वे : कहीं कोरोना वायरस के संवाहक न बन जाएं इसलिए कम पढ़े जा रहे अखबार, घट रहा प्रसार, ई-पेपर व अन्य डिजिटल माध्यमों की बहार

पीलीभीत। जिनकी सुबह अखबार पढ़े बिना नहीं होती थी वह आजकल वे लोग भी अखबार पढ़ने से तौबा कर रहे हैं। कारण यह है कि लोगों में यह आशंका है कि कहीं समाचार पत्र के माध्यम से ही कोरोना वायरस उन तक ना पहुंच जाए। लोगों का मानना है कि छपने के बाद पैकिंग, गाड़ियों में लादने, उतारने, मैगजीन आदि लगाने और उसकी बाद गिनती व वितरण तक ना जाने कितने हाथों में समाचार पत्र जाता है। ऐसे में संक्रमण फैलने की आशंका ज्यादा बनी हुई है। इसके चलते अखबारों के पाठक निरंतर गिर रहे हैं।

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मालिक भी सशंकित, छाप रहे मल्टी एडीशन, पेज भी घटाए

उक्त आशंका से समाचार पत्रों के मालिक भी सशंकित हैं और उन्होंने कई जिलों का मल्टी एडिशन छापना शुरू कर दिया है। अखबारों के पेज भी कम कर दिए गए हैं। अगर यही हाल रहा तो प्रिंट मीडिया पर कोरोना का प्रभाव अधिक पड़ा है। डॉक्टर आदि सब इस बात को जानते हैं पर दबाव में इस विषय पर नही बोलते। एक बड़े अखबार के पत्रकार के स्वीकार किया कि संक्रमण की आशंका से वे खुद कई दिनों से अखबार नही पढ़ रहे हैं। देहात में पुलिस की सख्ती ने भी वितरण घटाया है। हालांकि सरकार ने इसे जरूरी सेवा मानते हुए बंदिश न लगाने की बात कही है।

अखबार से जुड़े लोग खबरें लिखते हैं पर पेपर नहीं पढ़ते, डंप हो रहा अखबार, सप्लाई बन्द करने की मांग

एक दिन पूर्व कई अखबारों के ब्यूरो चीफ ईपेपर पढ़ने की अपील सोशल मीडिया पर करते नजर आए। समाचार पत्र न पहुंच पाने की यह लोग भी आशंका जता रहे हैं। शहर के एक वितरण तो लॉक डाउन के दौरान सप्लाई बंद करने की मांग करने लगे, बोले लॉक डाउन के दौरान तमाम समस्याएं हैं, इसलिए प्रिंटिंग ही बंद हो जाये। शहर से लेकर देहात तक काफी अखबार प्रतिदिन रद्दी में तब्दील हो रहा है। 

ई-पेपर व वेव जर्नलिज्म का ग्राफ हाई

इस समय लोग डिजिटल माध्यम को अधिक पसंद कर रहे हैं। उन्हीं समाचार पत्रों के ई-पेपर पसंद करते हुए लोग मोबाइल पर पड़ रहे हैं। वेेवपोर्टल वेबसाइट के समाचार भी लोगों को इस समय खासे रास आ रहे हैं।  

सेनिटाइजेशन करना भी सम्भव नहीं

सबसे बड़ी समस्या यह है कि अखबार को सेनिटाइजेशन कैसे किया जाय। इसे धो भी नही सकते। कितने लोगों ने घर मे पढा, पड़ोसी मांग ले गए, वहां किस किस ने हाथ लगाया, कुछ पता नहीं। यानी हर कदम पर समस्या। कोरोना हेल्पलाइन पर पूछ सकते हैं कि अखबार का सेनिटाइजेशन कैसे किया जाय। शायद एक्सपर्ट भी इस मसले पर चसकजर खा जाएंगे और उन्हें कोई जबाब नहीं आएगा। 

(यह समाचार एक सर्वे पर आधारित है, सर्वे जारी है, फाइनल आंकड़े अलग से जारी किए जाएंगे)

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