
चिंतन : भविष्य में ऑनलाइन वोटिंग हो सकती है बेहतर विकल्प, आप भी दें राय
कहीं मतदाता जागरूकता रैली निकाल रहे है तो कहीं खेलों के माध्यम से जगाया जा रहा है। बैनर ,पोस्टर, निमंत्रण पत्र, फ्लैक्सी के जरिए , वोटरों को बुलाया जा रहा है। उन्हें वोट करने के बदले खाने पर छूट होटलों ने देनी शुरू कर दिया है। पेट्रोल पंप पर ऊंगली में स्याही लगी दिखाकर 2% की छूट पाइये। लेकिन क्या इससे वोट प्रतिशत बढ़ी है? अभी तक के चार चरणों में तो घटा ही है। फ्री का ड्रेस , किताब और मिड डे मील बच्चों को स्कूल तक तो खींच कर ले आती है, लेकिन क्या यह इसे पढ़ाई में भी रुचि जगा पाती है? वोटरों को बूथों तक कैंडीडेट में आकर्षण या पार्टियों में निष्ठा ही ला सकती हैं।ज्यादातर जागरूकता कार्यक्रम सोशल मीडिया, फेसबुक, ट्विटर, शहरी क्षेत्रों में दिखता है, जहां लोग वोट का महत्व जानते हैं और जानबूझकर वोटिंग करने नहीं जाते, तो ऐसे जगे हुए को कैसा जगाना?असल में चुनाव के प्रति लोगों में उत्साह स्वयंस्फूर्त होता है, किसी के कहने से नहीं होता। लोग जब परिवर्तन चाहते हैं तो जमकर वोट करते हैं। कैडर वोट के लिए किसी के प्रोत्साहन की जरूरत नहीं होती। किसी भी क्षेत्र में 90% लोग वहीं नहीं रह रहे होते, जीविकोपार्जन, पढ़ाई या अन्य आवश्यक कार्यों के लिए बाहर होते हैं। निर्वाचन कार्यों में लगे लोग पोस्टर बैलेट भले देते हों पर उनमें वो उत्साह नहीं होता। जाहिर है बाहर रहने वालों के लिए जहां हों वहीं वोटिंग की व्यवस्था होनी चाहिए। निर्वाचन में लगे लोगों के लिए आधार बेस्ड आनलाइन वोटिंग बेहतर विकल्प हो सकता है।
डॉक्टर अविनाश झा, कवि/साहित्यकार
डिप्टी आरएमओ, फतेहपुर
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