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मसखरा मत समझना, डॉक्टर हुए कुंडरा के लाल राजपाल, अमेरिका की यूनिवर्सिटी ने किया सपना बहाल 

⏩राजपाल यादव अब बन गए डा. बचपन का सपना अधूरा रह जाने की जो एक कसक थी, वह 36 साल बाद आज पीएचडी की उपाधि मिलने पर पूरी हुई है,यह बातें अभिनेता राजपाल यादव ने रविवार को इंटरनेशनल ओपन यूनिवर्सिटी अमेरिका एवं बैक प्यूपिल काउंसिल द्वारा डाक्टरेट की मानद उपाधि मिलने पर कहीं राजपाल यादव एक छोटे से गांव से बाहर निकलने के बाद जब पढ़ाई में कुछ अच्छा किया तो उनके परिवार वालों ने कहा की राजपाल डाक्टर बनेगा, मैंने भी कहा डाक्टर बनूंगा। लेकिन जीव विज्ञान लेने के बाद पहली बार मेंढक का डिसेक्शन किया तो समझ आ गया कि रक्त को देखकर अपना रक्तचाप नियंत्रित रखते हुए उपचार करना मेरे बस की बात नहीं है। बचपन का सपना अधूरा रह जाने की जो एक कसक थी, वह 36 साल बाद आज पीएचडी की उपाधि मिलने पर पूरी हुई है।

⏩यह बातें अभिनेता राजपाल यादव ने रविवार को इंटरनेशनल ओपन यूनिवर्सिटी अमेरिका एवं बैक प्यूपिल काउंसिल द्वारा डाक्टरेट की मानद उपाधि मिलने पर कहीं।

⏩इस अवसर पर धराधाम इंटरनेशनल के प्रमुख सौहार्द शिरोमणि डा. सौरभ पाण्डेय, डा. पूजा निगम उपस्थित रहीं। डा. सौरभ पाण्डेय ने सर्वधर्म सद्भाव की बात कहते हुए भारतीय संस्कृति की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत ही ऐसा देश है जहां की आतिथ्य परंपरा सर्वश्रेष्ठ है। इसी परंपरा के तहत धराधाम सर्वधर्म सद्भाव का संदेश देता है। कार्यक्रम के अयोजक डा. विजय डी बजाज एवं डा. ज्योति बजाज ने विशिष्ट अतिथियों के साथ देश की उत्कृष्ट प्रतिभाओं को गांधी सेवा रत्न सम्मान से सम्मानित किया।

⏩उप्र में जन्म, महाराष्ट्र कर्मभूमि तो मप्र गुरुभूमि ।

⏩एक सवाल के उत्तर में उन्होंने कहा कि उत्तप्रदेश मेरी जन्मभूमि है, महाराष्ट्र कर्मभूमि है तो मध्यप्रदेश मेरी गुरुभूमि है। सावन माह में पीएचडी का जो सम्मान मिला है, यह और अब तक जो कुछ भी पाया है, पंडित देवप्रभाकर शास्त्री दद्दा जी का आशीर्वाद है। आने वाले समय में मेरी तीन से चार वेबसीरीज, चार बेब फिल्में और इतनी ही फिल्में आने वाली हैं, वैसे राजपाल यादव को कौन नहीं जानता, है, बड़े से बड़े पर्दे पर वह लोगों को हंसाते रहे हैं, तो कभी अपने भावपूर्ण अभिनय से आंखों में आंसू ला देते हैं। अब तक वह 200 से अधिक फिल्में कर चुके हैं, राजपाल अपनी फिल्मों का जिक्र होने पर कहते हैं कि मैं खरगोश की नहीं, कछुए की चाल चल रहा हूं। अभी तो मेरी कला जवान हो रही है। जिस तरह हालीवुड में कलाकार के 40-45 वर्ष का हो जाने के बाद उनकी सबसे महत्वपूर्ण फिल्में आती हैं, उसी तरह मेरा सर्वश्रेष्ठ आना बाकी है। मध्यप्रदेश को मिले ‘मोस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट’ के पुरस्कार पर उन्होंने कहा कि वास्तव में यह प्रदेश इसका हकदार था। प्रदेश में मेलजोल की संस्कृति है। यहां भविष्य में फिल्मों के निर्माण को लेकर असीम संभावनाएं हैं। वर्तमान में यहां बड़ी संख्या में फिल्मों की शूटिंग हो रही है, आने वाले समय में यह संख्या और बढ़ेगी। मैं कोशिश करूंगा कि मप्र में हर साल हम तीन से चार फिल्मों की शूटिंग कर सकें।

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